नई दिल्ली, 23 मार्च 2025 – आज का दिन सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि बलिदान की वह अमर गाथा है जिसने हमें आज़ादी दिलाई। 23 मार्च 1931, वह काला दिन जब भारत माता के तीन सपूत भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को अंग्रेज़ी हुकूमत ने फांसी पर लटका दिया। लेकिन यह सिर्फ तीन क्रांतिकारियों की शहादत नहीं थी, बल्कि एक चिंगारी थी जिसने पूरे देश में आज़ादी की ज्वाला भड़का दी।
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जब मौत भी झुक गई वीरों के आगे
भगत सिंह—सिर्फ 23 साल के थे। इतनी कम उम्र, फिर भी दिल में आज़ादी की ऐसी ज्वाला कि हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूम लिया। उनकी आखिरी इच्छा? बस यही कि उनके मरने के बाद भी “इंकलाब जिंदाबाद!” की गूंज हर गली, हर चौक, हर दिल में गूंजती रहे।
राजगुरु और सुखदेव भी उसी जोश के साथ शहीद हुए। वे जानते थे कि यह बलिदान सिर्फ उनके जीवन का अंत नहीं, बल्कि एक नए भारत की शुरुआत होगी।
एक मां की पीड़ा, एक देश का गर्व
सोचिए भगत सिंह की मां ने क्या महसूस किया होगा, जब उनका बेटा देश के लिए बलिदान देने चला? सोचिए सुखदेव के पिता की आंखों में कैसे आंसू रहे होंगे, जब उन्होंने अपने बेटे को तिरंगे में लिपटा देखा? सोचिए राजगुरु की बहन का दिल कैसे टूटा होगा, जब उसके भाई की सिर्फ यादें बचीं?
लेकिन उनके इन आंसुओं ने भारत को मजबूत किया। उनकी शहादत ने हर युवा के दिल में एक नया जोश भरा, हर इंसान को यह एहसास कराया कि आज़ादी कोई भीख नहीं, बल्कि एक अधिकार है।
क्या हम उनके सपनों का भारत बना पाए?
आज जब हम खुली हवा में सांस ले रहे हैं, जब हम बिना डर अपने विचार रख सकते हैं, तो हमें खुद से यह सवाल पूछना चाहिए:
क्या हम उस आज़ादी की कीमत समझ रहे हैं जिसके लिए उन्होंने जान दी?
क्या हम अन्याय के खिलाफ वैसे ही खड़े होते हैं जैसे वे हुए थे?
क्या हम अपने देश के वीर जवानों और उनके परिवारों का सम्मान कर रहे हैं?
आज भी हमारे सैनिक सियाचिन की बर्फीली चोटियों पर, कश्मीर की वादियों में और देश की सीमाओं पर अपनी जान की बाज़ी लगाकर हमारी रक्षा कर रहे हैं। उनकी वर्दी पर लगे सितारे हमें याद दिलाते हैं कि भारत की मिट्टी आज भी शहीदों के खून से लाल होती है, ताकि हम चैन से जी सकें।
शहीदों के नाम, एक प्रतिज्ञा
आज शहीद दिवस पर हम सिर्फ श्रद्धांजलि न दें, बल्कि यह संकल्प लें कि:
हम अपने देश को भ्रष्टाचार और अन्याय से मुक्त बनाएंगे।
हम शहीदों के परिवारों का सम्मान और सहयोग करेंगे।
हम अपनी आज़ादी को हल्के में नहीं लेंगे, बल्कि इसे और मजबूत बनाएंगे।
दिल्ली न्यूज़18 अपने इन वीर सपूतों को नमन करता है। यह धरती उनके खून से सींची गई है, यह हवा उनके बलिदान से महकी है। उनका सपना हमारा संकल्प बने, यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
इंकलाब जिंदाबाद! जय हिंद!