नई दिल्ली: आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा विशेषज्ञों ने खड़े होकर पानी पीने की आदत को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताया है। हालांकि यह आदत आज की तेज़ रफ्तार जिंदगी में आम हो गई है, लेकिन शरीर के महत्वपूर्ण अंगों पर इसके दुष्प्रभाव बेहद गंभीर हो सकते हैं।
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क्या कहता है आयुर्वेद?
आयुर्वेद के अनुसार, बैठकर पानी पीना न केवल पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है, बल्कि शरीर में ऊर्जा का संतुलन भी बनाए रखता है। खड़े होकर पानी पीने से शरीर में ‘वात’ असंतुलित हो सकता है, जिससे जोड़ों में दर्द, घुटनों की परेशानी और पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
शरीर के अंगों पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव:
- किडनी पर असर: खड़े होकर तेजी से पानी पीने से पानी सीधे ब्लैडर तक पहुंच जाता है, जिससे किडनी को फिल्टर करने का समय नहीं मिलता। यह लंबे समय में किडनी की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकता है।
- जोड़ों का दर्द: आयुर्वेद में माना गया है कि खड़े होकर पानी पीने से जोड़ों में वात दोष बढ़ता है, जिससे घुटनों और रीढ़ की हड्डी में दर्द की शिकायत हो सकती है।
- पाचन तंत्र की गड़बड़ी: पानी अगर खड़े होकर पिया जाए तो वह सीधे पेट की निचली सतह पर गिरता है, जिससे पाचन रस का संतुलन बिगड़ सकता है और गैस, एसिडिटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
- दिल पर दबाव: विशेषज्ञों के अनुसार, खड़े होकर पानी पीने से दिल की धड़कन पर असर पड़ सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जो पहले से ही हृदय रोग से पीड़ित हैं।
विशेषज्ञों की सलाह:
डॉक्टरों का मानना है कि पानी धीरे-धीरे, छोटे घूंटों में और बैठकर पीना चाहिए। इससे शरीर को न केवल हाइड्रेशन मिलता है बल्कि अंगों को उसका लाभ भी मिल पाता है। सुबह उठकर खाली पेट बैठकर गुनगुना पानी पीना स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी होता है।
खड़े होकर पानी पीने की आदत को तुरंत सुधारना ज़रूरी है। यह एक छोटी सी आदत है, लेकिन इसके दुष्परिणाम लंबे समय में बेहद गंभीर हो सकते हैं। सेहतमंद जीवन के लिए सही ढंग से पानी पीना भी उतना ही ज़रूरी है जितना कि शुद्ध पानी पीना।
क्या आप भी खड़े होकर पानी पीते हैं? अब समय है इस आदत को बदलने का।