भारत की लॉजिस्टिक्स लागत अगले पांच सालों में सिंगल डिजिट में आ जाएगी, यह घोषणा केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने की है। यह कदम देश के लॉजिस्टिक्स उद्योग और अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी राहत माना जा रहा है। गडकरी ने बताया कि देश में विश्वस्तरीय परिवहन नेटवर्क का निर्माण इस कमी को संभव बनाएगा। वर्तमान में, भारत अपनी लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने की दिशा में काम कर रहा है, जो व्यापारिक प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने और आर्थिक विकास में अहम भूमिका निभाएगा।
लॉजिस्टिक्स लागत कम करने की आवश्यकता
वर्तमान में, भारत की लॉजिस्टिक्स लागत जीडीपी का लगभग 13-14% है, जो कि अन्य विकसित देशों की तुलना में काफी अधिक है। अमेरिका और यूरोप में यह लागत 8-9% के करीब है। इतनी अधिक लागत से भारतीय व्यापारियों की प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित होती है और देश के भीतर सामानों को ढोना महंगा हो जाता है। इसलिए, इस लागत को कम करना सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में से एक है।
नितिन गडकरी ने बताया कि सरकार ने इस लागत को घटाकर 9% करने का लक्ष्य रखा है। इससे न केवल व्यापार सुगम होगा, बल्कि उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों में भी कमी आएगी, जिससे देश की आर्थिक स्थिति बेहतर होगी।
विश्वस्तरीय परिवहन नेटवर्क का निर्माण
भारत का लॉजिस्टिक्स क्षेत्र एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है, और इसमें प्रमुख योगदान सरकार द्वारा बुनियादी ढांचे के विकास में किए जा रहे प्रयासों का है। गडकरी ने इस दिशा में भारतमाला परियोजना और सागरमाला परियोजना जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स का जिक्र किया, जो लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने के लिए देश भर में सड़क, रेलवे, और जलमार्गों का व्यापक नेटवर्क तैयार कर रहे हैं।
भारतमाला परियोजना के तहत हजारों किलोमीटर के हाईवे विकसित किए जा रहे हैं, जो प्रमुख शहरों और औद्योगिक केंद्रों को जोड़ेंगे। इसके साथ ही, सागरमाला परियोजना देश के तटीय क्षेत्रों और आंतरिक जलमार्गों के विकास पर केंद्रित है, जिससे सड़क परिवहन पर निर्भरता कम होगी और समय और ईंधन की बचत होगी।
मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क्स की स्थापना
गडकरी ने यह भी बताया कि सरकार मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क्स की स्थापना पर काम कर रही है, जिससे अलग-अलग परिवहन साधनों को एक ही जगह से संचालित किया जा सकेगा। इससे लॉजिस्टिक्स अधिक कुशल बनेगा और समय व लागत दोनों में कमी आएगी। इन पार्क्स से सड़क, रेल और जलमार्गों के बीच बेहतर तालमेल स्थापित होगा, जिससे व्यापारियों को तेजी से और कम लागत में सामान पहुंचाने की सुविधा मिलेगी।
इससे छोटे और मझोले उद्योगों को भी फायदा होगा, जो अब बड़ी कंपनियों की तरह इन सुविधाओं का लाभ उठाकर अपने उत्पादों को सुगमता से बाजार तक पहुंचा सकेंगे।
ग्रीन लॉजिस्टिक्स की दिशा में कदम
सरकार लॉजिस्टिक्स को हरित और पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। नितिन गडकरी ने बताया कि इलेक्ट्रिक वाहनों, सौर ऊर्जा और हाइब्रिड ट्रकों के उपयोग को प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि लॉजिस्टिक्स सेक्टर में कार्बन उत्सर्जन कम किया जा सके। इससे लॉजिस्टिक्स लागत में कमी आने के साथ ही पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
डिजिटल तकनीकों का योगदान
डिजिटलाइजेशन भी लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। नितिन गडकरी ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), ब्लॉकचेन और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) जैसी आधुनिक तकनीकों को अपनाकर लॉजिस्टिक्स को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाया जाएगा। इससे शिपमेंट की ट्रैकिंग और प्रबंधन पहले से अधिक सटीक हो जाएगा, जिससे समय और पैसे दोनों की बचत होगी।
सरकार ने लॉजिस्टिक्स सेक्टर को आधुनिक बनाने के लिए कई डिजिटल पोर्टल्स और एप्स लॉन्च किए हैं। इससे न केवल कागजी कार्यवाही में कमी आएगी, बल्कि लॉजिस्टिक्स उद्योग में पारदर्शिता बढ़ेगी और भ्रष्टाचार कम होगा।
भारत की आर्थिक वृद्धि पर असर
लॉजिस्टिक्स लागत कम होने से भारत की अर्थव्यवस्था पर बड़ा सकारात्मक असर पड़ेगा। व्यापारिक प्रक्रियाएं तेज और सस्ती होने से उत्पादन में वृद्धि होगी और निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही, विदेशी निवेशकों के लिए भारत एक अधिक आकर्षक स्थान बनेगा, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और देश की जीडीपी में इजाफा होगा।
नितिन गडकरी द्वारा किया गया यह ऐलान देश के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र और आर्थिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। अगर सरकार अपने निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करती है, तो भारत न केवल अपनी आंतरिक लॉजिस्टिक्स लागत को कम करेगा, बल्कि वैश्विक व्यापारिक प्रतिस्पर्धा में भी अग्रणी बन जाएगा।
निष्कर्ष
नितिन गडकरी की यह घोषणा भारत के लॉजिस्टिक्स उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। अगले पांच सालों में लॉजिस्टिक्स लागत को सिंगल डिजिट में लाने का लक्ष्य देश की अर्थव्यवस्था को गति देगा, व्यापार को आसान बनाएगा और उपभोक्ताओं के लिए कीमतें कम करेगा। देश का विश्वस्तरीय परिवहन नेटवर्क, हरित लॉजिस्टिक्स और डिजिटल तकनीकों का उपयोग इस दिशा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयां मिलेंगी।