नई दिल्ली |केंद्र सरकार कराएगी जातिगत जनगणना, ये फैसला कैबिनेट की मीटिंग में लिया गया है। यह निर्णय भारतीय राजनीति और सामाजिक ढांचे के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ है। यह न केवल सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ा कदम है, बल्कि भविष्य की योजनाओं की रूपरेखा तय करने में भी निर्णायक साबित होगा।
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केंद्र सरकार कराएगी जातिगत जनगणना: क्यों है यह ज़रूरी?
जातिगत जनगणना का मतलब होता है कि देश की जनसंख्या का आंकलन केवल धर्म, उम्र या लिंग के आधार पर नहीं, बल्कि जाति आधारित वर्गीकरण के आधार पर भी किया जाए।
कई सामाजिक संगठनों और राज्यों ने लंबे समय से यह मांग उठाई थी कि जाति आधारित डेटा सार्वजनिक होना चाहिए ताकि योजनाओं को सही दिशा दी जा सके।
नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार:
- भारत में 70% लोग जाति आधारित योजनाओं से प्रभावित हैं
- 62% छात्रवृत्तियां जातीय पहचान के आधार पर दी जाती हैं
- पिछड़ी जातियों में गरीबी दर 45% तक है, जबकि सामान्य वर्ग में यह दर 22% है
केंद्र सरकार कराएगी जातिगत जनगणना: कैबिनेट मीटिंग में क्या हुआ?
सरकार की हाल ही में हुई कैबिनेट मीटिंग में यह प्रस्ताव पास किया गया कि 2025 के अंत तक पूरे भारत में डिजिटल जातिगत जनगणना कराई जाएगी। इसके लिए एक राष्ट्रीय सामाजिक डेटा आयोग का गठन किया जाएगा।
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जातिगत जनगणना के आंकड़ों का महत्व
श्रेणी | अनुमानित प्रतिशत |
---|---|
अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) | 42% |
अनुसूचित जाति (SC) | 16% |
अनुसूचित जनजाति (ST) | 8.6% |
सामान्य वर्ग | 33.4% |
Note: ये आंकड़े पुराने अनुमानों पर आधारित हैं, क्योंकि वर्ष 1931 के बाद वर्ष 2011 में इसे पहली बार आयोजित किया गया था। बाद कोई आधिकारिक जातिगत जनगणना नहीं हुई है।
जनगणना को लेकर लोगों की राय
👤 डॉ. सीमा वर्मा, समाजशास्त्री:
“यह जनगणना सामाजिक नीति बनाने के लिए क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है। बिना आंकड़ों के योजनाएं अधूरी रहती हैं।”
👤 अमित सिंह, छात्र नेता:
“जातिगत डेटा सामने लाकर सरकार को जवाबदेह बनाना ही असली सामाजिक न्याय है।”
केंद्र सरकार कराएगी जातिगत जनगणना: 5 बड़ी वजहें
अंतरराष्ट्रीय तुलना:
ब्राज़ील, दक्षिण अफ्रीका, और USA जैसे देशों में सामाजिक वर्ग आधारित जनगणना नियमित रूप से होती है। इससे वहां की सरकारें अल्पसंख्यकों और वंचितों के लिए विशेष योजनाएं बना पाती हैं।
निष्कर्ष: एक जरूरी कदम
केंद्र सरकार कराएगी जातिगत जनगणना, यह सिर्फ एक सरकारी घोषणा नहीं बल्कि एक ऐतिहासिक सुधार की शुरुआत है। इससे न केवल सामाजिक नीति और योजनाएं मजबूत होंगी, बल्कि एक न्यायपूर्ण भारत की नींव भी रखी जाएगी।
आपकी राय ज़रूरी है!
आपको क्या लगता है — क्या जातिगत जनगणना से समाज में बदलाव आएगा? क्या इससे वंचित वर्गों को और ज्यादा लाभ मिलेगा?