दिल्ली की गलियों में घूमते हुए, अगर आपके पैर किसी चाय की दुकान या ठेले के पास थम जाते हैं, और हवा में मसालों की ऐसी खुशबू आती है जो सीधे पेट को छू जाए, तो समझिएगा आप किसी मशहूर छोले-भटूरे वाले के पास आ चुके हैं. जी हां, दिल्ली का स्वाद छोले-भटूरे के बिना अधूरा है. हर गली में अपनी कहानी सुनाता, हर चटनी में एक अलग ज़ायका पेश करता ये दिल्ली का नाश्ता सिर्फ पेट नहीं भरता, बल्कि पुरानी यादों को भी ताज़ा कर देता है.
आज हम आपको दिल्ली के कुछ ऐसे ही मशहूर छोले-भटूरे वालों के बारे में बताएंगे, जिनके हाथों का जादू चटपटे छोले और फूले हुए भटूरे को एक ऐसी कला में बदल देता है, जिसे बार-बार चखने का मन करता है.
1. सीता राम दीवान चंद, पहाड़गंज:
पहाड़गंज के बाजार में, एक छोटी सी दुकान में 1947 से चला आ रहा है सीता राम दीवान चंद. ये सिर्फ एक दुकान नहीं, बल्कि दिल्ली के छोले-भटूरे की विरासत का एक अहम हिस्सा है. यहां के गरमा गरम छोले, खास मसालों के साथ पकाए जाते हैं, और फूले हुए भटूरे, क्रिस्पी होने के साथ ही इतने नर्म होते हैं कि मुंह में घुल जाते हैं. यहां की लाल मिर्च की चटनी भी ज़बरदस्त है, जो स्वाद को और बढ़ा देती है.
कमला नगर के मार्केट में चाचे दी हट्टी का नाम किसी को बताने की ज़रूरत नहीं है. सालों से चले आ रहे इस चाचे दी हट्टी पर मिलने वाले आलू वाले भटूरे, दिल्ली की एक खासियत हैं. मसालेदार छोले के साथ ये आलू से भरे फूले हुए भटूरे, स्वाद के साथ-साथ पेट की भूख भी मिटा देते हैं. यहां की हरी धनिया की चटनी भी कमाल की है, जो छोले-भटूरे के स्वाद को और बढ़ा देती है.
3. बाबा नागपाल कॉर्नर, लाजपत नगर:
लाजपत नगर के बाजार में, बाबा नागपाल कॉर्नर का स्वाद दिल्लीवालों के ज़हन में बसा हुआ है. यहां के छोले, खास मसालों और देसी घी में तड़के जाते हैं, जो उनकी खुशबू और स्वाद को लाजवाब बना देते हैं. साथ में मिलने वाले भटूरे भी इतने क्रिस्पी और फूले हुए होते हैं कि बस खाने को ही जी करता है. यहां की इमली की चटनी भी ज़रूर ट्राई करें, जो छोले-भटूरे के स्वाद को एक अलग ही लेवल पर ले जाती है.
चांदनी चौक की गलियों में घूमते हुए, अगर आपको कहीं भीड़ लगी दिखे, तो समझिएगा आप भांगी कालेंडर के पास आ चुके हैं. ये दुकान 1885 से ही दिल्ली के लोगों को लज़ीज़ छोले-भटूरे खिला रही है. यहां के छोले, खास मसालों के साथ देसी तंदूर में पकाए जाते हैं, जो उन्हें एक अलग ही ज़ायका देते हैं. साथ में मिलने वाले भटूरे भी बड़े और फूले हुए होते हैं. यहां की मीठी और तीखी दोनों तरह की चटनियां भी