गाजियाबाद में आम जनता को पुलिस से जुड़े कार्यों में राहत देने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। जिले के नए पुलिस कमिश्नर जे. रविन्द्र गौड़ के आदेशानुसार अब अगर कोई व्यक्ति पुलिस में एफआईआर दर्ज कराता है, तो उसकी कॉपी पुलिस खुद वादी के घर जाकर पहुंचाएगी।
अब तक एफआईआर के लिए लोगों को थाने या चौकी के कई चक्कर लगाने पड़ते थे। लेकिन इस नई व्यवस्था के लागू होने के बाद, वादी को न तो बार-बार थाने जाने की जरूरत होगी, और न ही लंबी-लंबी लाइनें झेलनी पड़ेंगी।
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क्या है नई व्यवस्था?
- एफआईआर दर्ज होते ही संबंधित थाने से एक पुलिसकर्मी वादी के घर जाकर उसे एफआईआर की साइन की हुई कॉपी देगा।
- यह प्रक्रिया समयबद्ध होगी, यानी एक निर्धारित समय के अंदर वादी को जानकारी और दस्तावेज मुहैया कराए जाएंगे।
- वादी की सुविधा के अनुसार यह सेवा ऑनलाइन अपडेट के साथ भी जोड़ी जा सकती है, जिससे ट्रैकिंग आसान हो सके।
आम जनता को क्या फायदा होगा?
- समय की बचत: नौकरीपेशा या वृद्ध लोगों को बार-बार थाने जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
- पारदर्शिता बढ़ेगी: वादी को हर स्थिति की जानकारी सही समय पर मिल सकेगी।
- भ्रष्टाचार में कमी: एफआईआर कॉपी के लिए बिचौलिए या दलालों का खेल बंद होगा।
- विश्वास बढ़ेगा: पुलिस पर लोगों का भरोसा और सहयोग मजबूत होगा।
कमिश्नर जे. रविन्द्र गौड़ का क्या कहना है?
पुलिस कमिश्नर ने कहा, “हमारी प्राथमिकता है कि पीड़ित को इंसाफ दिलाने की प्रक्रिया आसान और सम्मानजनक हो। यह कदम पुलिस और जनता के बीच विश्वास को मजबूत करेगा।”
निष्कर्ष:
गाजियाबाद पुलिस की यह पहल न केवल जनता के लिए सहूलियत लेकर आई है, बल्कि यह एक सकारात्मक बदलाव का संकेत है जिसमें आम नागरिक को प्राथमिकता दी जा रही है। उम्मीद की जा रही है कि यह मॉडल अन्य जिलों में भी लागू किया जाएगा, जिससे पूरे राज्य में पुलिस व्यवस्था और मजबूत हो सके।