नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली को भिखारी मुक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए दिल्ली सरकार शहर के विभिन्न हिस्सों में मौजूद भिखारियों का सर्वेक्षण कराने जा रही है। इस महत्वपूर्ण पहल का मुख्य उद्देश्य भिखारियों को कौशल और व्यावसायिक प्रशिक्षण देकर उनका पुनर्वास करना और उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर प्रदान करना है।
समाज कल्याण विभाग इस सर्वेक्षण को प्रतिष्ठित स्वैच्छिक संगठनों (NGO) के माध्यम से नौ प्रमुख हॉटस्पॉट क्षेत्रों में आयोजित करेगा। इन क्षेत्रों में करोल बाग, पुरानी दिल्ली, शाहदरा, निजामुद्दीन, मुनिरका, बंगला साहिब गुरुद्वारा के पास, आर के पुरम और रोहिणी शामिल हैं।
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सर्वेक्षण और पुनर्वास प्रक्रिया
सर्वेक्षण के बाद, संबंधित गैर सरकारी संगठन (NGO) भिखारियों को शेल्टर होम (आश्रय गृह) में रहने के लिए प्रेरित करेंगे। भीख मांगने वाले अनाथ बच्चों को बाल देखभाल केंद्रों में भेजा जाएगा। इस प्रक्रिया के दौरान बच्चों, महिलाओं, दिव्यांगों, बुजुर्गों और नशा करने वालों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
बचाए गए भिखारियों को तीन से छह महीने तक शेल्टर होम में रखा जाएगा, जहां उन्हें सभी जरूरी कानूनी दस्तावेज जैसे आधार कार्ड और राशन कार्ड बनवाए जाएंगे। साथ ही, उनकी काउंसलिंग कर उन्हें भीख मांगने से रोकने और स्वावलंबी बनने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
नशा मुक्त जीवन की ओर भी कदम
जो भिखारी नशे के आदी पाए जाएंगे, उन्हें सीधे नशा मुक्ति केंद्रों में भेजा जाएगा। सरकार का लक्ष्य है कि इन व्यक्तियों को पुनर्वास के साथ-साथ एक स्थायी और सम्मानजनक आजीविका का मार्ग भी प्रदान किया जाए।
शिक्षा और कौशल विकास की सुविधा
आश्रय गृहों में बच्चों के लिए शिक्षा की व्यवस्था की जाएगी और वयस्कों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा, ताकि वे स्वरोजगार के जरिये आत्मनिर्भर बन सकें। इसके लिए सरकार ने विशेष अभिरुचि दस्तावेज तैयार किया है, जिसमें प्रशिक्षण कार्यक्रमों और पुनर्वास योजनाओं का विस्तार से उल्लेख किया गया है।
दिल्ली सरकार का यह कदम न केवल शहर को भिखारी मुक्त बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है, बल्कि इससे हजारों जरूरतमंद लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आने की उम्मीद है। यदि यह अभियान सफल होता है, तो दिल्ली अन्य राज्यों के लिए भी एक आदर्श उदाहरण बन सकती