नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में चार वर्षों के लंबे अंतराल के बाद आयोजित छात्र संघ चुनावों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। एबीवीपी के उम्मीदवार वैभव सिंह मीणा ने संयुक्त सचिव पद पर शानदार जीत दर्ज कर संगठन की बढ़ती ताकत और छात्रों के बीच बढ़ते विश्वास का प्रमाण दिया है।
हालांकि अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और महासचिव जैसे प्रमुख पदों पर वामपंथी गठबंधन ने अपनी पकड़ बनाए रखी, लेकिन एबीवीपी का संयुक्त सचिव पद जीतना संगठन के लिए एक नई ऊर्जा और भविष्य के संघर्षों के लिए प्रेरणा साबित हुआ है। यह जीत बताती है कि जेएनयू जैसे राजनीतिक रूप से सक्रिय परिसर में भी वैचारिक विविधता को स्वीकार किया जा रहा है।
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चुनावी आंकड़े
इस वर्ष छात्र संघ चुनावों में लगभग 7,751 पंजीकृत छात्रों में से 5,656 छात्रों ने मतदान किया, जिससे कुल मतदान प्रतिशत लगभग 73% रहा। यह आंकड़ा पिछले एक दशक का सर्वाधिक है, जो जेएनयू के छात्रों के लोकतांत्रिक प्रक्रिया के प्रति उत्साह को दर्शाता है। इतने उच्च मतदान प्रतिशत ने पूरे चुनाव को बेहद प्रतिस्पर्धी और जीवंत बना दिया।
वैभव सिंह मीणा ने संयुक्त सचिव पद पर अन्य उम्मीदवारों को कड़े मुकाबले में पछाड़ते हुए जीत हासिल की। उनकी जीत को संगठन के जमीनी स्तर पर काम करने और छात्रों की ज्वलंत समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने का परिणाम माना जा रहा है।
नई जिम्मेदारियाँ और अपेक्षाएँ
नवनिर्वाचित प्रतिनिधियों के सामने अब कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ हैं, जिन पर उन्हें ध्यान केंद्रित करना होगा:
- सुरक्षित और समावेशी कैंपस बनाना: छात्रावासों, पुस्तकालयों और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना बेहद जरूरी है, ताकि सभी छात्र – विशेष रूप से महिला छात्राएं – बिना किसी डर के शिक्षा ग्रहण कर सकें।
- छात्र सुविधाओं का सुधार: हॉस्टल के ढांचे को बेहतर बनाना, इंटरनेट सुविधाएं बढ़ाना, स्वच्छता की व्यवस्था सुदृढ़ करना और छात्रावासों में नियमित मरम्मत कार्य करवाना प्रमुख मांगों में शामिल हैं।
- शैक्षणिक माहौल को सशक्त बनाना: शिक्षकों और छात्रों के बीच संवाद को बढ़ावा देना, पाठ्यक्रमों को अद्यतन करने के लिए पहल करना और अकादमिक आज़ादी को बनाए रखना भी एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होगी।
- सभी विचारधाराओं का सम्मान: लोकतांत्रिक मूल्यों का पालन करते हुए हर विचारधारा को समान अवसर और सम्मान देना ताकि जेएनयू का बहु-आयामी बौद्धिक माहौल और समृद्ध हो सके।
- छात्रों के लिए करियर ओरिएंटेड कार्यशालाएँ: छात्रों के करियर विकास को ध्यान में रखते हुए स्किल डवलपमेंट, इंटर्नशिप और प्लेसमेंट से संबंधित कार्यक्रमों को बढ़ावा देना आवश्यक होगा।
निष्कर्ष
वैभव सिंह मीणा की जीत न केवल एबीवीपी के लिए गर्व का विषय है, बल्कि जेएनयू में छात्र राजनीति के बदलते रुझानों का भी संकेत है। यह सफलता संगठन की छात्र हितों के प्रति प्रतिबद्धता और कार्यशीलता का प्रमाण है। अब छात्रों की अपेक्षाएँ और उम्मीदें भी काफी बढ़ गई हैं।
नवनिर्वाचित प्रतिनिधियों से यही आशा की जाती है कि वे पारदर्शी, उत्तरदायी और संवेदनशील नेतृत्व प्रदान करेंगे और जेएनयू को एक ऐसा संस्थान बनाएंगे जो शिक्षा, बहस और लोकतांत्रिक मूल्यों के उच्चतम मानकों का प्रतीक बने।