ज्योति नगर साइबर पुलिस स्टेशन को हाई-टेक टूल्स की सख्त जरूरत, वरना अगला ‘जामताड़ा’ बन सकता है इलाका
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में साइबर अपराध दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। ठगी, ऑनलाइन फ्रॉड, फिशिंग और डिजिटल धोखाधड़ी के मामलों में तेजी से उछाल देखने को मिल रहा है। हालात इतने गंभीर हो चुके हैं कि ज्योति नगर स्थित उत्तर-पूर्वी दिल्ली साइबर पुलिस स्टेशन पर दर्ज होने वाले मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। लेकिन, संसाधनों की कमी के चलते पुलिस को अपराधियों तक पहुंचने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
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साइबर पुलिस के पास नहीं हैं आधुनिक साधन
उत्तर-पूर्वी जिले की साइबर पुलिस अपराधियों को पकड़ने के लिए जी-जान से मेहनत कर रही है, लेकिन हाई-टेक टूल्स की कमी उनके काम में बड़ी बाधा बन रही है। साइबर अपराधियों के पास अत्याधुनिक अवैध गैजेट्स हैं, जिनका इस्तेमाल करके वे लोगों को ठग रहे हैं। वहीं पुलिस के पास सीमित संसाधन हैं, जिससे अपराधियों को ट्रैक करना और सबूत इकट्ठा करना चुनौती बन गया है।
‘जामताड़ा’ बनने की ओर बढ़ता उत्तर-पूर्वी दिल्ली
जिस तरह झारखंड का जामताड़ा साइबर क्राइम के लिए कुख्यात है, उसी तरह उत्तर-पूर्वी दिल्ली भी उसी राह पर बढ़ता नजर आ रहा है। इलाके में साइबर अपराध के बढ़ते मामलों ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। ठगों के नए-नए तरीकों ने आम जनता को मुश्किल में डाल दिया है।
बांग्लादेशी घुसपैठिए भी बढ़ा रहे अपराध
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, इस इलाके में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी घुसपैठिए अवैध रूप से रह रहे हैं। बिना किसी पुलिस वेरिफिकेशन के मकान मालिकों द्वारा किराए पर दी गई जगहों पर ये लोग अपनी पहचान छिपाकर रह रहे हैं। इस प्रशासनिक लापरवाही का फायदा उठाकर कई घुसपैठिए साइबर अपराध में लिप्त हैं।
साइबर सेल अधिकारी से सख्त कार्रवाई की मांग
उत्तर-पूर्वी दिल्ली के अतिरिक्त जिला आयुक्त दिल्ली के नोडल साइबर सेल अधिकारी श्री हेमंत तिवारी, IPS से मांग की जा रही है कि जल्द से जल्द इस मामले में सख्त कार्रवाई करें। साइबर पुलिस को अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी और हाई-टेक टूल्स उपलब्ध कराए जाएं, ताकि अपराधियों को पकड़ने में तेजी लाई जा सके। यदि जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो उत्तर-पूर्वी दिल्ली का हाल भी जामताड़ा जैसा हो सकता है।
आम जनता भी हो सतर्क
साइबर अपराधों से बचने के लिए आम लोगों को भी सतर्क रहने की जरूरत है। अज्ञात नंबरों से आने वाले कॉल, संदिग्ध मैसेज और अंजान लिंक पर क्लिक करने से बचें। बैंक डिटेल्स और ओटीपी किसी को न बताएं। यदि कोई फ्रॉड हो, तो तुरंत साइबर पुलिस हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराएं।
समाधान की राह
सरकार को चाहिए कि साइबर पुलिस को आवश्यक संसाधन, आधुनिक उपकरण और विशेष प्रशिक्षण मुहैया कराए। इससे न केवल अपराधियों को पकड़ना आसान होगा, बल्कि अपराधों पर भी लगाम लगाई जा सकेगी।