उत्तराखंड के शांत पहाड़ों से निकली एक कहानी आज पूरे देश के लिए प्रेरणा बन चुकी है। यह कहानी है प्रतिभा थपलियाल (Pratibha Thapliyal) की, जो 43 वर्ष की उम्र में अपनी मेहनत और संकल्प के बल पर दुनिया के मंच पर भारत का नाम रोशन कर चुकी हैं।
Table of Contents
जब जीवन ने दी चुनौती
साल 2018 में, Pratibha Thapliyal को थायरॉयड की समस्या का सामना करना पड़ा। बढ़ता वजन, थकान और स्वास्थ्य समस्याएं उनके जीवन का हिस्सा बन गई थीं। लेकिन प्रतिभा ने हार मानने के बजाय खुद को बदलने का निश्चय किया।
अपने पति भूपेश थपलियाल के समर्थन और मार्गदर्शन से उन्होंने जिम जाना शुरू किया। कठिन परिश्रम और निरंतर अभ्यास से कुछ ही महीनों में उन्होंने 30 किलो वजन कम कर लिया। यह बदलाव केवल शारीरिक नहीं था, बल्कि मानसिक और आत्मिक भी था।
प्रतियोगिताओं में बढ़ाया भारत का मान
स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के बाद Pratibha Thapliyal ने अपने सपनों को और बड़ा किया। 2022 में सिक्किम में आयोजित बॉडीबिल्डिंग प्रतियोगिता में उन्होंने चौथा स्थान प्राप्त किया।
इसके बाद, 2023 में मध्य प्रदेश के रतलाम में आयोजित 13वीं राष्ट्रीय सीनियर महिला बॉडीबिल्डिंग चैंपियनशिप में उन्होंने स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया।
इसी वर्ष, प्रतिभा ने दक्षिण कोरिया में आयोजित वर्ल्ड बॉडीबिल्डिंग एंड फिजीक स्पोर्ट्स चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर एक और उपलब्धि अपने नाम कर ली। वह इस स्तर पर पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला बन गईं।
Pratibha Thapliyal की यह सफलता साबित करती है कि उम्र और परिस्थितियां कभी भी सपनों के रास्ते में रुकावट नहीं बन सकतीं।
समाज के लिए एक प्रेरणा
आज प्रतिभा थपलियाल (Pratibha Thapliyal) न केवल एक सफल एथलीट हैं, बल्कि एक प्रेरणा स्रोत भी हैं। वह अपने पति भूपेश के साथ मिलकर फिटनेस के क्षेत्र में कार्य कर रही हैं और अन्य लोगों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित कर रही हैं।
उनकी यात्रा हमें सिखाती है कि समर्पण, मेहनत और आत्म-विश्वास से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
Pratibha Thapliyal का जीवन संदेश देता है कि सफलता इंतजार करने वालों को नहीं, बल्कि प्रयास करने वालों को मिलती है। अगर आप भी अपने जीवन में बदलाव लाना चाहते हैं, तो आज से ही पहला कदम उठाइए — क्योंकि बदलाव की शुरुआत हमेशा खुद से होती है।