अयोध्या: भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या में मंगलवार का दिन ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बना। पारंपरिक उत्तर भारतीय नागर शैली में निर्मित श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर भगवा ध्वज फहराया गया, जिसके साथ ही पूरा परिसर “जय श्रीराम” के जयकारों से गूंज उठा। भक्तों में उत्साह और आस्था का ऐसा संगम देखने को मिला जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है।
यह ध्वजारोहण समारोह मंदिर परंपरा और सनातन संस्कृति की विरासत को ससम्मान आगे बढ़ाने का प्रतीक माना जा रहा है।
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विशेष है यह ध्वज: ताकत और तेजस्विता का प्रतीक
मंदिर के शिखर पर स्थापित किया गया ध्वज अपने आप में अद्वितीय है।
इसकी विशेषताएँ:
- ऊंचाई: 10 फीट
- लंबाई: 20 फीट
- आकार: समकोण त्रिकोणीय
- रंग: गहरा भगवा
ध्वज पर एक चमकते सूर्य की आकृति बनी है, जिसे भगवान श्रीराम के तेज, पराक्रम और दिव्यता का प्रतीक माना जाता है। इसके साथ ही इसमें कोविदार वृक्ष की आकृति और ‘ॐ’ का पवित्र चिन्ह अंकित है, जो धर्म, आध्यात्मिकता और ऊर्जा का संकेत देता है।
राम राज्य की मूल भावना को दर्शाता भगवा ध्वज
यह ध्वज सिर्फ एक कपड़ा नहीं, बल्कि एक संस्कृतिक संदेश है —
जिसमें समाहित हैं:
- मर्यादा
- एकता
- धर्मनिष्ठा
- सांस्कृतिक निरंतरता
- न्याय और आदर्श शासन का भाव
यह ध्वज राम राज्य की परिकल्पना को जीवंत करता है और भक्तों को यह विश्वास दिलाता है कि भारत की आध्यात्मिक धारा अनंत और अटूट है।
भक्तों में उत्सव जैसा माहौल
ध्वज फहरते ही मंदिर परिसर में घंटाध्वनि, शंखनाद और जयकारों की गूंज फैल गई। कई भक्तों ने इस क्षण को इतिहास का पुनर्जन्म बताया।
एक स्थानीय श्रद्धालु ने कहा:
“यह सिर्फ ध्वजारोहण नहीं, बल्कि अयोध्या और समस्त भारत की आत्मा का उत्सव है।”
अयोध्या में यह दृश्य लंबे समय तक भक्तों और इतिहास के पन्नों में दर्ज रहने वाला है।
