Sonam Wang Chuk Hunger Strike: जलवायु परिवर्तन के खिलाफ आखिर क्यों कर रहे हैं सोनम वांगचुक भूख हड़ताल?

लद्दाख के प्रसिद्ध शिक्षाविद, नवाचारक और पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक पिछले कुछ दिनों से सुर्खियों में हैं. उन्होंने लद्दाख की नाजुक पारिस्थितिकी और छठी अनुसूची की मांग को लेकर जलवायु उपवास (Climate Fast) शुरू किया है. उनका यह कदम जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाने और लद्दाख के भविष्य को बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है. आइए जानते हैं कि आखिर सोनम वांगचुक जलवायु उपवास क्यों कर रहे हैं और लद्दाख के लिए छठी अनुसूची क्यों जरूरी है.

लद्दाख की नाजुक पारिस्थितिकी और जलवायु परिवर्तन का खतरा

लद्दाख को “तीन उच्चभूमियों का संगम” (The Confluence of Three High Plateaus) के रूप में जाना जाता है. यह हिमालय, काराकोरम और ज़ांस्कर पर्वतमालाओं के बीच स्थित एक ऊंचाई वाला ठंडा रेगिस्तान क्षेत्र है. लद्दाख की पारिस्थितिकी अत्यंत नाजुक है और ग्लेशियरों पर निर्भर करती है. इन ग्लेशियरों को अक्सर “एशिया का जल मीनार” (Asia’s Water Tower) कहा जाता है, क्योंकि वे नदियों को खिलाते हैं जो अरबों लोगों के लिए जीवनदायिनी हैं.

लेकिन, जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं. इसके चलते न केवल लद्दाख बल्कि पूरे क्षेत्र में जल संकट गहराता जा रहा है. साथ ही, बढ़ते तापमान से पारिस्थितिकी तंत्र असंतुलित हो रहा है, जिससे वनस्पति और जीव-जंतुओं पर भी खतरा मंडरा रहा है.

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मांग और उद्देश्य

इस नाजुक स्थिति को देखते हुए ही सोनम वांगचुक ने जलवायु उपवास शुरू किया है. उनका मुख्य उद्देश्य सरकार और आम जनता का ध्यान लद्दाख के पर्यावरणीय संकट की ओर खींचना है. वे जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में ठोस कदम उठाने और लद्दाख की पारिस्थितिकी को बचाने की मांग कर रहे हैं.

उनकी मांगों में से एक प्रमुख मांग है लद्दाख के लिए छठी अनुसूची का लागू होना.

छठी अनुसूची क्या है और लद्दाख के लिए क्यों जरूरी?

भारतीय संविधान की छठी अनुसूची पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों और जनजातीय क्षेत्रों को विशेष दर्जा प्रदान करती है. इस अनुसूची के तहत इन क्षेत्रों को स्वायत्त जिला परिषदों का गठन करने का अधिकार मिलता है. ये परिषदें अपने क्षेत्रों में भूमि और जल प्रबंधन, जंगलात, कृषि आदि मामलों पर कानून बना सकती हैं.

सोनम वांगचुक का मानना है कि लद्दाख के लिए छठी अनुसूची लागू होना बेहद जरूरी है. लद्दाख की नाजुक पारिस्थितिकी को बचाने के लिए स्थानीय समुदायों को निर्णय लेने का अधिकार होना चाहिए. स्थानीय लोगों को अपनी भूमि और जल संसाधनों के संरक्षण की बेहतर समझ होती है. छठी अनुसूची के तहत उन्हें पर्यावरण संरक्षण के लिए उपयुक्त नीतियां बनाने और लागू करने का अधिकार मिलेगा.

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इसके अलावा, सोनम वांगचुक लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की भी मांग कर रहे हैं. उनका मानना है कि केंद्र शासित प्रदेश के रूप में लद्दाख के विकास में बाधा आ रही है. राज्य का दर्जा मिलने से लद्दाख को अपने संसाधनों का बेहतर प्रबंधन करने और अपनी विकास योजनाओं को लागू करने में

स्वायत्तता मिलेगी.

सोनम वांगचुक का जलवायु उपवास: जनता का समर्थन और आने वाले दिनों में क्या होगा?

सोनम वांगचुक के जलवायु उपवास को लद्दाख और देश भर से समर्थन मिल रहा है. लद्दाख के लोग उनकी मांगों का समर्थन कर रहे हैं और सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग कर रहे हैं. सामाजिक कार्यकर्ताओं, पर्यावरणविदों और राजनेताओं ने भी सोनम वांगचुक की पहल का समर्थन किया है.

यह देखना अभी बाकी है कि सरकार उनकी मांगों पर क्या प्रतिक्रिया देती है. सरकार जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए क्या कदम उठाती है और लद्दाख के लिए क्या विशेष दर्जा प्रदान करती है, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा.

हालांकि, सोनम वांगचुक का जलवायु उपवास निश्चित रूप से लद्दाख के पर्यावरणीय संकट और छठी अनुसूची की मांग को राष्ट्रीय चर्चा का विषय बना दिया है. उनकी यह पहल जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है और लद्दाख के भविष्य को सुरक्षित करने में मदद कर सकती है.

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आप जलवायु परिवर्तन को रोकने में क्या कर सकते हैं?

जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक समस्या है और इससे निपटने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है. हालाँकि, हम व्यक्तिगत रूप से भी जलवायु परिवर्तन को कम करने में योगदान दे सकते हैं. कुछ आसान कदम जो हम उठा सकते हैं वे हैं:

  • ऊर्जा का कम खर्च करना, जैसे बिजली के उपकरणों का कम इस्तेमाल करना और सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना.
  • जल संरक्षण करना, जैसे कम पानी से नहाना और टपकने वाले नलों को ठीक करना.
  • कचरे को कम करना, पुन: प्रयोग करना और कचरे को रीसायकल करना.
  • पौधे लगाना, जो कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने में मदद करते हैं.

हमें यह याद रखना चाहिए कि छोटे-छोटे प्रयास भी मिलकर बड़ा बदलाव ला सकते हैं. आइए हम सब मिलकर जलवायु परिवर्तन से लड़ें और पृथ्वी को बचाने का प्रयास करें.

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