30 शहरों को भिखारी मुक्त बनाने का लक्ष्य, अयोध्या से त्रिवेंद्रम तक छिड़ा अभियान

भीक्षा मुक्त भारत” अभियान: 30 शहरों को भिखारी मुक्त बनाने की योजना, अयोध्या से तिरुवनंतपुरम तक शामिल

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  • Post last modified:January 31, 2024
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भारत सरकार ने 2026 तक देश को “भीक्षा मुक्त” बनाने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के साथ एक नया कार्यक्रम शुरू किया है। इस “भीक्षा मुक्त भारत” अभियान के तहत शुरुआती दौर में 30 शहरों को भिखारी मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इन शहरों में धार्मिक, ऐतिहासिक और पर्यटन महत्व के स्थान शामिल हैं, जिनमें अयोध्या, गुवाहाटी, विजयवाड़ा, मैसूर, मदुरै, उदयपुर और तिरुवनंतपुरम जैसे प्रमुख शहर शामिल हैं।

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय इस अभियान का नेतृत्व कर रहा है, जो स्थानीय जिला और नगरपालिका प्रशासन के साथ मिलकर काम करेगा। योजना के तहत इन शहरों में सर्वेक्षण किए जाएंगे और भिखारी, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों को पहचाना जाएगा। इसके बाद, उन्हें उनके पुनर्वास और आजीविका के साधन उपलब्ध कराए जाएंगे।

इस पहल के तहत, भिखारी मुक्त क्षेत्रों की पहचान करने के लिए राष्ट्रीय पोर्टल और मोबाइल ऐप विकसित किए जा रहे हैं। साथ ही, इन शहरों में “हॉटस्पॉट” की पहचान की जाएगी, जहां अधिक संख्या में भिखारी पाए जाते हैं। इन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा और उन्हें भिखारी मुक्त बनाने के लिए प्राथमिकता दी जाएगी।

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री श्री वीरेंद्र कुमार ने इस पहल के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, “भिक्षावृत्ति एक जटिल सामाजिक समस्या है, जो न केवल व्यक्तियों की गरिमा को प्रभावित करती है, बल्कि समाज में भी असमानता को बढ़ावा देती है। ‘भीक्षा मुक्त भारत’ अभियान का उद्देश्य न केवल भिखारियों को सड़कों से हटाना है, बल्कि उन्हें सम्मानजनक जीवन और आजीविका का अवसर प्रदान करना भी है।”

यह उल्लेखनीय है कि यह अभियान अभी शुरुआती चरण में है और 30 शहरों के बाद और शहरों को इसमें शामिल किया जाएगा। सरकार का मानना है कि इस कार्यक्रम के सफल कार्यान्वयन से भिखावृत्ति की समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है और समाज के वंचित वर्गों को सशक्त बनाया जा सकता है।

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हालांकि, इस अभियान की सफलता कई चुनौतियों पर निर्भर करेगी, जिसमें पर्याप्त संसाधनों का आवंटन, स्थानीय प्रशासन का सहयोग और भिखारियों के पुनर्वास के लिए ठोस कार्यक्रम शामिल हैं। साथ ही, समाज में व्याप्त भेदभाव और गरीबी को दूर किए बिना भिखावृत्ति की समस्या को पूरी तरह से समाप्त करना मुश्किल होगा।

“भीक्षा मुक्त भारत” अभियान एक सकारात्मक पहल है, लेकिन यह देखना बाकी है कि क्या यह वास्तव में 2026 तक अपने लक्ष्य को प्राप्त कर पाएगा। इस अभियान की सफलता सामाजिक न्याय और समावेशिता के क्षेत्र में भारत की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करेगी।