Delhi Air Quality नई दिल्ली: दिल्ली की हवा इस समय गंभीर स्तर पर प्रदूषित हो चुकी है, और शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) कई इलाकों में खतरनाक स्तर पर पहुँच चुका है। आज सुबह राजधानी के कई क्षेत्रों में AQI 450 के पार रिकॉर्ड किया गया, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है।
दिल्ली की हवा विभिन्न इलाकों की AQI स्थिति:
- आनंद विहार: 472 (गंभीर)
- जहांगीरपुरी: 465 (गंभीर)
- आरके पुरम: 458 (गंभीर)
- आईटीओ: 453 (गंभीर)
- शाहदरा: 451 (गंभीर)
शहर के विभिन्न क्षेत्रों में PM2.5 और PM10 के स्तर भी खतरनाक रूप से बढ़ गए हैं। आनंद विहार जैसे इलाकों में PM2.5 का स्तर 350 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुँच चुका है, जो कि सुरक्षित स्तर से लगभग 5 गुना अधिक है।
दिल्ली की हवा से स्वास्थ्य पर गहरा असर
इस प्रदूषण से दिल्लीवासियों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह स्थिति विशेष रूप से खतरनाक है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने नागरिकों से घर के अंदर रहने, N95 मास्क पहनने और गैर-जरूरी गतिविधियों से बचने की सलाह दी है।
वायु गुणवत्ता में गिरावट को देखते हुए, दिल्ली सरकार ने GRAP (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) के तहत निर्माण कार्यों पर रोक लगाने, सड़क पर पानी छिड़काव, और कोयला-डीजल आधारित औद्योगिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने जैसे कदम उठाए हैं। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक दीर्घकालिक समाधान लागू नहीं किए जाते, दिल्ली की हवा में सुधार मुश्किल है।
दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण के लिए उठाए गए सरकारी कदम
दिल्ली सरकार ने प्रदूषण से निपटने के लिए कुछ तात्कालिक और दीर्घकालिक कदमों की घोषणा की है। हाल ही में, “ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान” (GRAP) लागू किया गया है, जिसमें वायु गुणवत्ता के आधार पर अलग-अलग स्तरों पर कदम उठाए जाते हैं। जैसे ही AQI ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुँचता है, निर्माण कार्यों पर रोक, डीजल वाहनों पर प्रतिबंध और सड़कों पर पानी का छिड़काव जैसे कदम उठाए जाते हैं। इसके अलावा, वाहनों के उत्सर्जन को कम करने के लिए “ऑड-ईवन” स्कीम लागू करने पर भी विचार किया जा रहा है।
पराली जलाने पर नियंत्रण के प्रयास
आंकड़ों के अनुसार, पिछले 24 घंटों में पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की लगभग 4,500 घटनाएँ दर्ज की गईं हैं, जिससे दिल्ली की हवा और अधिक दूषित हो गई है। पराली जलाना दिल्ली में प्रदूषण का एक बड़ा कारण है। केंद्र सरकार ने इस दिशा में किसानों को पराली जलाने के बजाय वैकल्पिक उपाय अपनाने के लिए प्रोत्साहन देने की योजना बनाई है। पराली प्रबंधन के लिए सब्सिडी प्रदान की जा रही है, जिससे किसान अपनी पराली को जलाने की बजाय अन्य तरीकों से नष्ट कर सकें। साथ ही, केंद्रीय कृषि मंत्रालय भी कई ऐसे उपकरणों की व्यवस्था कर रहा है, जिनके माध्यम से पराली को खाद में परिवर्तित किया जा सकता है।
प्रदूषण से प्रभावित लोग और स्वास्थ्य सेवाएँ
दिल्ली के अस्पतालों में प्रदूषण से प्रभावित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। विशेष रूप से सांस लेने में कठिनाई, फेफड़ों में संक्रमण और दमा के मरीजों में 30% तक का इजाफा हुआ है। दिल्ली के सबसे बड़े अस्पतालों में से एक, एम्स (AIIMS) ने कहा है कि हाल के दिनों में सांस से जुड़ी बीमारियों के मरीजों की संख्या में भारी बढ़ोतरी हुई है। इस स्थिति को देखते हुए, अस्पतालों में विशेष वार्ड बनाए जा रहे हैं और डॉक्टरों की एक अतिरिक्त टीम को तैनात किया गया है।
प्रदूषण का दीर्घकालिक समाधान
दिल्ली में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए दीर्घकालिक समाधान आवश्यक हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि राजधानी की वायु गुणवत्ता को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए:
- इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रचार: सरकार को इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए अधिक सब्सिडी प्रदान करनी चाहिए ताकि लोग पेट्रोल-डीजल वाहनों के स्थान पर ईवी का उपयोग करें।
- ग्रीन कवर बढ़ाना: दिल्ली में हरियाली का दायरा बढ़ाने पर जोर देना आवश्यक है। बड़े पैमाने पर पौधारोपण अभियानों को बढ़ावा देना चाहिए ताकि पेड़ प्रदूषित कणों को अवशोषित कर सकें।
- स्मार्ट ट्रैफिक प्रबंधन: दिल्ली में यातायात को स्मार्ट तकनीक के जरिए नियंत्रित किया जाए ताकि ट्रैफिक जाम के कारण होने वाले प्रदूषण को कम किया जा सके।
- पराली जलाने पर सख्ती: केंद्र और राज्य सरकारों को पराली जलाने के लिए दीर्घकालिक और प्रभावी समाधान ढूंढ़ने चाहिए, जिससे धुएं का स्तर घटाया जा सके।
नागरिकों की भूमिका
प्रदूषण पर नियंत्रण पाने में नागरिकों की भी अहम भूमिका होती है। पर्यावरणविदों ने नागरिकों से अपील की है कि वे निजी वाहनों के उपयोग को कम करें, कारपूलिंग और सार्वजनिक परिवहन का अधिक उपयोग करें। इसके अलावा, लोगों को अपने वाहनों का नियमित रखरखाव करना चाहिए ताकि वाहनों से निकलने वाले धुएं में प्रदूषक कणों की मात्रा कम हो। घरों में एयर प्यूरीफायर का उपयोग और अधिक से अधिक पौधों का रोपण भी वायु की गुणवत्ता में सुधार ला सकता है।
आने वाले दिनों में संभावित स्थिति
वायु प्रदूषण की यह स्थिति आने वाले दिनों में और अधिक बिगड़ सकती है, क्योंकि तापमान में गिरावट और हवाओं की गति में कमी से प्रदूषक कण हवा में ठहर सकते हैं। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि अगले कुछ दिनों में धुंध और स्मॉग की समस्या और गंभीर हो सकती है, जिससे AQI के स्तर में और बढ़ोतरी की संभावना है।
सरकार, पर्यावरणविद् और स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी दिल्लीवासियों से इस कठिन समय में संयम और सावधानी बरतने की अपील कर रहे हैं। यह साफ है कि इस वायु प्रदूषण संकट से निपटने के लिए सामूहिक प्रयास और सतर्कता की आवश्यकता है ताकि दिल्ली को एक बार फिर से सांस लेने योग्य बनाया जा सके।