नई दिल्ली: दिल्ली में आगामी चुनावों से पहले भाजपा सरकार ने यमुना नदी की सफाई को लेकर अपनी प्रतिबद्धता को पूरी तरह से ज़मीन पर उतार दिया है। हाल ही में भाजपा के वरिष्ठ नेता और मंत्री परवेश वर्मा ने जानकारी दी कि बीते 10 दिनों में यमुना नदी से 1,300 टन से ज़्यादा कचरा हटाया गया है। यह दिखाता है कि सरकार न केवल वादे कर रही है बल्कि उन पर अमल भी कर रही है।
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यमुना नदी की वर्तमान स्थिति:
यमुना नदी, जो दिल्ली की जीवनरेखा मानी जाती है, आज गंभीर प्रदूषण से जूझ रही है। आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में बहने वाली यमुना की लंबाई मात्र 22 किलोमीटर है, लेकिन इसी हिस्से में नदी का 76% प्रदूषण दर्ज किया जाता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट बताती है कि नदी में ऑक्सीजन लेवल बेहद कम हो चुका है, जिससे जलीय जीवन पर खतरा मंडरा रहा है। औद्योगिक कचरा, घरेलू अपशिष्ट और धार्मिक क्रियाकलापों से निकलने वाले कचरे ने यमुना की हालत बदतर कर दी है।
भाजपा सरकार के कदम:
भाजपा सरकार ने यमुना सफाई अभियान को लेकर एक आक्रामक रुख अपनाया है। परवेश वर्मा ने बताया कि यमुना से कचरा हटाने का काम पूरी रफ्तार में है और पिछले 10 दिनों में ही 1,300 टन कचरा हटाया जा चुका है। सरकार ने नदी के किनारों की सफाई, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (STPs) की क्षमता बढ़ाने और औद्योगिक कचरे के निस्तारण पर भी सख्ती से काम शुरू कर दिया है।
जनता की भागीदारी ज़रूरी:
सिर्फ सरकार के प्रयासों से यमुना को स्वच्छ बनाना संभव नहीं है। इसके लिए दिल्ली के नागरिकों को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। हम सभी मिलकर इन कदमों से योगदान दे सकते हैं:
कचरा न फैलाएं: यमुना के किनारे पॉलिथीन, फूल, मूर्तियाँ या अन्य कचरा न फेंकें।
सीवेज कनेक्शन सही करें: यह सुनिश्चित करें कि आपके घर या व्यापार का गंदा पानी सीवेज लाइन में ही जा रहा है, न कि खुले नालों में।
औद्योगिक इकाइयाँ जिम्मेदारी निभाएं: फैक्ट्रियों को अपने अपशिष्ट जल को ट्रीटमेंट के बाद ही बहाव में छोड़ने की व्यवस्था करनी चाहिए।
स्वच्छता अभियानों में भाग लें: स्थानीय स्तर पर चल रहे यमुना सफाई अभियानों में स्वयंसेवक बनें।
भाजपा सरकार द्वारा उठाए जा रहे ये कदम दिखाते हैं कि वे दिल्ली को एक स्वच्छ, सुरक्षित और रहने योग्य शहर बनाने के लिए संकल्पित हैं। यमुना की सफाई न केवल पर्यावरण के लिए ज़रूरी है, बल्कि यह दिल्ली के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को बनाए रखने का भी एक अहम हिस्सा है। अब वक्त है कि सरकार और जनता दोनों मिलकर इस पवित्र नदी को उसका खोया हुआ स्वरूप लौटाने में अपना योगदान दें।