दिल्ली की रफ्तार का पर्याय बन चुका राष्ट्रीय राजमार्ग 44 (NH-44) सोमवार को हादसे का गवाह बना। बाहरी दिल्ली के अलीपुर इलाके में अंडरपास निर्माण के दौरान अचानक मिट्टी का ढेर धंस गया, जिसकी चपेट में आकर तीन मजदूर जिंदगी की जंग लड़ने लगे। मिट्टी के इस कालकोठरी में सांसें रुकने लगीं, लेकिन उम्मीद की किरण जगी बचाव दल के रूप में। करीब दो घंटे तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन में मजदूरों को बाहर निकालकर मौत के चंगुल से बचाया गया।
घटना सुबह करीब 11 बजे की है, जब तेज धमाके के साथ मिट्टी का पहाड़ खिसक पड़ा। निर्माणाधीन अंडरपास के गड्ढे में काम कर रहे तीन मजदूर दब गए। चीख-पुकार मची तो आसपास के लोग जुट गए। सूचना मिलते ही पुलिस, दमकल विभाग और एंबुलेंस मौके पर पहुंची। राहत की सांस तब ली जब बचाव दल ने जेसीबी और अन्य उपकरणों की मदद से मजदूरों को बाहर निकालना शुरू किया। हर पल जिंदगी और मौत के बीच का संघर्ष चल रहा था। धूल और मिट्टी के गुबार के बीच बचाव दल के पसीने छूट रहे थे, मगर हार नहीं मानी। आखिरकार दो घंटे की कड़ी मेहनत के बाद तीनों मजदूरों को बाहर निकाला जा सका।
घायल मजदूरों को तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है। फिलहाल उनकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है। हादसे के बाद मौके पर तनाव का माहौल है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि निर्माण कार्य के दौरान सुरक्षा मानकों का उल्लंघन किया गया था। मजदूरों की सुरक्षा में लापरवाही बरतने वाली निर्माण कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है।
यह घटना एक बार फिर निर्माण स्थलों पर सुरक्षा मानकों की अनदेखी की खतरनाक हकीकत को सामने लाती है। विकास की रफ्तार में जिंदगी की कीमत चुकाना मंजूर नहीं हो सकता। ऐसे हादसों को रोकने के लिए सख्त नियमों का पालन और उनके क्रियान्वयन पर जोर देना होगा। मजदूरों की सुरक्षा सुनिश्चित करना होगा, तभी विकास का असली मायने में मतलब होगा।
इस हादसे ने शहर की रफ्तार पर सवाल खड़ा कर दिया है। सवाल यह उठता है कि आखिर कितनी और जिंदगियों को विकास की भेंट चढ़ाएंगे? उम्मीद है, इस हादसे से सबक लेकर जिम्मेदार अधिकारी सजग होंगे और निर्माण स्थलों पर सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देंगे, ताकि किसी को फिर से मौत के साये में काम न करना पड़े।