दिल्ली की ठंडी शाम को जब आप थोड़ी गर्माहट का इंतज़ार कर रहे हों, तो सिनेमाघर की ओर रुख करना एक अच्छा विकल्प हो सकता है. लेकिन अगर आप सिर्फ मनोरंजन से ज़्यादा कुछ ढूंढ रहे हैं, इतिहास के पन्नों में झांकने का मन कर रहा है, तो निर्देशक रवींद्रन रमेश की फिल्म “मैं अटल हूं” आपके लिए ही बनी है.
ये फिल्म भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन पर आधारित है, लेकिन ये कोई सामान्य बायोपिक नहीं है. ये एक सिनेमाई अनुभव है जो आपको हंसाएगा, रुलाएगा और सोचने पर मजबूर करेगा.
पंकज त्रिपाठी ने अटल जी के किरदार को बड़े ही शानदार तरीके से निभाया है. उनकी हाव-भाव, आवाज़ और हंसी में आपको असली अटल जी की झलक साफ़-साफ़ दिखाई देगी. फिल्म आपको अटल जी के बचपन से लेकर प्रधानमंत्री बनने तक के सफ़र पर ले जाती है. आप उनके कवि मन, राजनीतिक सूझबूझ और देश के प्रति समर्पण को करीब से देख पाएंगे.
लेकिन फिल्म सिर्फ अटल जी के गुणगान नहीं करती. ये उनके संघर्षों, असफलताओं और विवादों को भी बख़ूबी से दर्शाती है. आप देखेंगे कि कैसे कविता लिखने वाले एक युवा अटल ने राजनीति के रणक्षेत्र में कदम रखा और देश के शीर्ष पद तक पहुंचे.
फिल्म में कई ऐसे दृश्य हैं जो आपको अपनी सीट से बांधे रखेंगे. इंदिरा गांधी के साथ उनका टकराव, पाकिस्तान के साथ शांति वार्ता, कारगिल युद्ध का समय – ये सभी पल इतिहास के पन्नों से उतर कर पर्दे पर जीवंत हो जाते हैं.
लेकिन फिल्म की असली ताकत उसकी कहानी और संवादों में है. फिल्म आपको सोचने पर मजबूर करती है कि देश के लिए क्या मायने रखता है, नेतृत्व का क्या मतलब है और असहमति के बावजूद संवाद का रास्ता कैसे निकाला जा सकता है.
अगर आप इतिहास के शौक़ीन हैं, देशभक्ति की भावना रखते हैं या बस एक अच्छी फिल्म देखना चाहते हैं, तो “अटल: चौके का चौंकाने वाला सफ़र” आपके लिए ज़रूरी फिल्म है. ये आपको हंसाएगी, रुलाएगी और सबसे ज़रूरी बात, प्रेरणा देगी. तो देर किस बात की, सिनेमाघर की ओर चलिए और अटल जी के अविश्वसनीय सफ़र का हिस्सा बनिए!
कुछ खास बातें:
- पंकज त्रिपाठी का दमदार अभिनय.
- इतिहास को रोचक ढंग से पेश करना.
- प्रेरणादायक और सोचने पर मजबूर करने वाली कहानी.
- शानदार संवाद और निर्देशन.
रेटिंग: 4.5 में से 4.5 स्टार
तो अगर आपने अभी तक “अटल जी का चौंकाने वाला सफ़र” नहीं देखा है, तो ज़रूर देखें. ये फिल्म आपको निराश नहीं करेगी!