गुरमीत राम रहीम बरी

रंजीत सिंह मर्डर केस में राम रहीम बरी: हाईकोर्ट ने दी बड़ी राहत

रंजीत सिंह हत्याकांड का मामला

गुरमीत राम रहीम बरी: सिरसा डेरा के प्रबंधक रहे रंजीत सिंह की हत्या 10 जुलाई 2002 की शाम को गोलियां मारकर की गई थी। इस हत्याकांड ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। 2003 में इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी। जांच के बाद सीबीआई ने डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

हाईकोर्ट का फैसला: राम रहीम दोष मुक्त

बहुचर्चित रंजीत सिंह हत्याकांड में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को बड़ी राहत दी है। हाईकोर्ट ने सीबीआई की अदालत द्वारा सुनाई गई उम्रकैद की सजा को रद्द कर दिया और राम रहीम को दोष मुक्त करार दिया है।

हाईकोर्ट में उठाए गए सवाल

हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान सीबीआई की जांच में कई खामियां पाई गईं। जांच के दौरान कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर संदेह जताया गया, जिनमें मुख्य रूप से निम्नलिखित शामिल थे:

  1. वारदात में इस्तेमाल हथियार और कार की बरामदगी: सीबीआई हत्या में इस्तेमाल हुए हथियार और कार को बरामद करने में असफल रही थी।
  2. हत्या में इस्तेमाल पिस्टल का दावा: सीबीआई ने 455 बोर पिस्टल का इस्तेमाल होने का दावा किया था, जबकि वह पिस्टल 1999 में मोगा पुलिस को सुपुर्द कर दी गई थी।
  3. गवाहों के बयानों में अंतर: हत्याकांड के दो प्रमुख गवाहों सुखदेव सिंह और जोगिंदर सिंह के बयानों में काफी अंतर पाया गया।
  4. मृतक के पिता के आरोप: मृतक रंजीत सिंह के पिता जोगिंदर सिंह ने पहले हत्या के लिए गांव के सरपंच पर आरोप लगाए थे।
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वकीलों की प्रतिक्रिया

राम रहीम के वकील का बयान

राम रहीम के वकील ने बताया कि जजमेंट अभी नहीं आई है, लेकिन कोर्ट में मामले की सुनवाई पहले ही हो चुकी थी। मंगलवार को कोर्ट में फैसला आया और सभी को बरी किया गया है।

सबदिल के वकील का बयान

आरोपी सबदिल के वकील महेंद्र सिंह जोशी ने बताया कि रंजीत सिंह के पिता ने पहले गांव के सरपंच पर मर्डर के आरोप लगाए थे। यह पूरा मामला संदिग्ध था। हाईकोर्ट ने इसी आधार पर अपना फैसला सुनाया। उन्होंने कहा कि सबदिल की पूरी जिंदगी बर्बाद हो गई, क्योंकि वह 14 साल से जेल में बंद है। उसकी नौकरी भी चली गई। लेकिन अब परमात्मा की महर हुई है।

सीबीआई की जांच और पुलिस की असफलता

पुलिस की प्रारंभिक जांच

गौरतलब है कि पहले इस मामले की जांच पुलिस ने की थी। लेकिन पुलिस जांच से असंतुष्ट रंजीत सिंह के बेटे जगसीर सिंह ने जनवरी 2003 में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआई जांच की मांग की थी।

सीबीआई की जांच

बाद में मामला सीबीआई को सौंपा गया था। 2006 में राम रहीम के ड्राइवर खट्टा सिंह के बयान पर डेरा प्रमुख को आरोपियों में शामिल किया गया। इसके बाद 2007 में कोर्ट ने आरोपियों पर आरोप तय किए। अक्तूबर 2021 में डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह सहित पांच आरोपियों को दोषी करार दिया गया था और उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।

मामले का इतिहास

रंजीत सिंह की हत्या

रंजीत सिंह, जो कि सिरसा डेरा के प्रबंधक थे, की हत्या 10 जुलाई 2002 को की गई थी। उन्हें गोलियों से भून दिया गया था। इस घटना के बाद पूरे क्षेत्र में सनसनी फैल गई थी।

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गुरमीत राम रहीम का नाम कैसे आया

शुरूआत में इस मामले में गुरमीत राम रहीम का नाम नहीं था, लेकिन बाद में जांच के दौरान उनका नाम सामने आया। 2003 में मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई और 2006 में खट्टा सिंह के बयान के आधार पर राम रहीम को आरोपियों की सूची में शामिल किया गया।

हाईकोर्ट के फैसले का समाज पर प्रभाव

समर्थकों की प्रतिक्रिया

गुरमीत राम रहीम के समर्थकों ने हाईकोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है। उनके अनुसार, राम रहीम को झूठे आरोपों में फंसाया गया था और अब सच सामने आ गया है। समर्थकों ने इस निर्णय को न्याय की जीत बताया है।

विरोधियों की प्रतिक्रिया

वहीं, रंजीत सिंह के परिवार और समर्थकों ने इस फैसले पर निराशा जताई है। उनका कहना है कि न्याय नहीं हुआ और वे इस फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील करेंगे। उनके अनुसार, न्यायालय ने मामले की गंभीरता को नजरअंदाज किया है।

कानूनी विशेषज्ञों की राय

फैसले की वैधता

कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि उच्च न्यायालय का फैसला कानून के मानकों के अनुरूप है। उनका कहना है कि अभियोजन पक्ष को ठोस और अपरिवर्तनीय सबूत प्रस्तुत करने चाहिए थे, जो इस मामले में नहीं हो सका।

संभावित अपील

विशेषज्ञों का कहना है कि यदि रंजीत सिंह के परिवार सर्वोच्च न्यायालय में अपील करते हैं, तो उन्हें नए और ठोस सबूत पेश करने होंगे। अपील के दौरान सर्वोच्च न्यायालय पुनः मामले की संपूर्ण समीक्षा करेगा और सभी पहलुओं पर विचार करेगा।

भविष्य की दिशा

समाज पर प्रभाव

इस फैसले का समाज पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। समर्थकों और विरोधियों के बीच तनाव बढ़ सकता है और यह सामाजिक समरसता के लिए चुनौती बन सकता है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि न्याय प्रणाली में जनता का विश्वास कैसे बना रहता है।

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न्याय प्रणाली पर विश्वास

यह फैसला न्याय प्रणाली पर जनता के विश्वास को भी प्रभावित करेगा। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता कैसे बरकरार रखी जाती है। भविष्य में न्यायिक प्रक्रिया की विश्वसनीयता को बनाए रखना एक बड़ी चुनौती होगी।

निष्कर्ष

गुरमीत राम रहीम सिंह को रंजीत सिंह हत्याकांड में बरी करने का उच्च न्यायालय का फैसला कानूनी दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इस मामले में अभियोजन पक्ष के द्वारा पर्याप्त सबूत प्रस्तुत न करने के कारण न्यायालय ने उन्हें बरी कर दिया। यह फैसला समाज में विभिन्न प्रतिक्रियाओं का कारण बना है और आगे की कानूनी कार्यवाही की दिशा निर्धारित करेगा।

Source : Twitter