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भारतीय अर्थव्यवस्था का आईना: आय में असमानता अभी भी बरकरार
नई दिल्ली, 25 अप्रैल 2025 आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में जारी आंकड़ों के अनुसार, भारतीयों की औसत मासिक आय ₹13,000 से ₹20,000 के बीच है। यह आंकड़े रोजगार की स्थिति, लिंग और स्थान के आधार पर विभाजित किए गए हैं, जो देश में आय की असमानता को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं।
प्रमुख निष्कर्ष
सर्वेक्षण के अनुसार, स्व-रोजगार वाले व्यक्तियों की औसत मासिक आय लगभग ₹13,279 है, जबकि नियमित कर्मचारियों की औसत आय ₹20,702 है। यह दर्शाता है कि नियमित रोजगार में लगे लोग स्व-रोजगार वालों की तुलना में लगभग 56% अधिक कमाते हैं।
ग्रामीण-शहरी विभाजन
आंकड़े ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच महत्वपूर्ण अंतर दिखाते हैं:
- ग्रामीण क्षेत्रों में स्व-रोजगार वालों की औसत आय ₹11,422 है
- शहरी क्षेत्रों में स्व-रोजगार वालों की औसत आय ₹20,055 है
- ग्रामीण क्षेत्रों में नियमित कर्मचारियों की औसत आय ₹16,626 है
- शहरी क्षेत्रों में नियमित कर्मचारियों की औसत आय ₹23,974 है
शहरी क्षेत्रों में आय ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में लगभग 75% अधिक है, जो शहरी अर्थव्यवस्था के मजबूत होने का संकेत देता है।
लिंग आधारित असमानता
लिंग के आधार पर आय में उल्लेखनीय असमानता देखी गई है:
- स्व-रोजगार में, पुरुषों की औसत आय (₹16,007) महिलाओं की तुलना में (₹5,497) लगभग तीन गुना अधिक है
- नियमित रोजगार में, पुरुषों की औसत आय (₹22,092) महिलाओं की तुलना में (₹16,498) लगभग 34% अधिक है
- आकस्मिक श्रमिकों में, पुरुषों की औसत दैनिक आय ₹450 है, जबकि महिलाओं की ₹296 है
आकस्मिक श्रमिकों की स्थिति
आकस्मिक श्रमिकों की स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक है, जिनकी औसत दैनिक आय मात्र ₹418 है। मासिक आय की गणना करें तो यह लगभग ₹12,540 (30 दिनों के हिसाब से) होती है, जो न्यूनतम जीवन यापन के लिए अत्यंत कम है।
विशेषज्ञों की राय
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इन आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में आय असमानता एक गंभीर चुनौती बनी हुई है। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों और महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए ठोस नीतिगत हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
“आंकड़े स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि आर्थिक विकास के फल समान रूप से वितरित नहीं हो रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों और महिलाओं के लिए रोजगार के अवसरों को बढ़ाने और उनकी आय को बढ़ाने पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है,” एक प्रमुख अर्थशास्त्री ने कहा।
सरकार का प्रतिक्रिया
सरकारी सूत्रों के अनुसार, इस असमानता को कम करने के लिए कई योजनाएं शुरू की जा रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कौशल विकास, महिला उद्यमिता को प्रोत्साहन और आकस्मिक श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाओं पर विशेष जोर दिया जा रहा है।
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के ये आंकड़े भारतीय अर्थव्यवस्था की वास्तविक स्थिति को दर्शाते हैं। बढ़ती अर्थव्यवस्था के बावजूद, आय की असमानता अभी भी एक बड़ी चुनौती है। सरकार, निजी क्षेत्र और नागरिक समाज को मिलकर इस असमानता को कम करने के लिए प्रयास करने की आवश्यकता है।
स्रोत: वार्षिक PLFS 2023-24, MoSPI (आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 से)